Karam festival 2023: करमा पूजा कृषि आधारित समाजों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। और हम इस लेख में Karam Puja Kab Hai , kaise manaya jata hai or karma puja ki kahani इत्यादि के बारे में विस्तार से बताएंगे |
आइये शुरू करते है,
सबसे पहले आपको बता दू करम व कर्मा दोनों एक ही एक ही त्योहार को बोलते है और रही बात इस मानाने की तो भारत में विशेष कर झारखंड व छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम से बाजे के साथ नाच गान करते नज़र आते है यह त्योहार इस राज्य के कुछ ही जगहों पर मनाया जाता है पर जहा मनाया जाता है वहा एक सप्ताह पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है क्योकि जिस टोकरी को लड़किया व महिलाएं सिर में ढोती है जिसे जवा कहा जाता है और इसे बानने के लिए नो प्रकार के लिए नौ प्रकार के बीज लगाए जाते हैं जैसे चावल, गेहूं, मक्का आदि का उपयोग किया जाता है । लड़किया इन बीजों की 6 ,7 दिनों तक देखभाल करती है जब तक वह बढ़ न जाएं ,जवा के थोड़े बढ़ जाने पर यह बहुत लुभावना दिखता है |
नीचे कर्मा पूजा के बारे में हमने विस्तार से बताने कि कोशिस की है:
Karam Festival in Hindi 2023 -Highlight
नाम | विवरण |
तिथि | 25 सितंबर 2023 (भादो मास की पूर्णिमा अगस्त-सितंबर) |
स्थान | झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, असम, ओडिशा और बांग्लादेश | |
महत्व | फसल की कटाई, भाई-बहन के प्रेम, प्रकृति की पूजा |
प्रमुख क्रियाएँ | करम डाली की पूजा, नृत्य, संगीत, भोजन |
करम पूजा कब है? |When is Karam Puja
2023 में, करम पूजा 25 सितंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। यह भादो मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना है। करम पूजा एक प्राकृतिक त्योहार है जो भाई-बहन के प्रेम, प्रकृति के प्रति प्रेम और कृषि आधारित जीवन को मनाता है।
करम पूजा क्या है? | What is karam Festival
करमा पर्व एक प्राकृतिक पर्व है जो भारत के झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा और बांग्लादेश में मनाया जाता है। यह भादो मास की पूर्णिमा (अगस्त-सितंबर) को मनाया जाता है। इस दिन, लोग करम डाली की पूजा करते हैं, जो एक पवित्र पेड़ की शाखा है।
करमा पर्व का मुख्य उद्देश्य फसल की कटाई, भाई-बहन के प्रेम और प्रकृति की पूजा करना है। इस दिन, बहनें अपने भाईयों के लिए पूजा करती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। इस पर्व को मनाने के लिए, बहनें नौ प्रकार के बीजों से एक टोकरी बनाती हैं, जिसे जावा कहा जाता है। वे इस जावा को करम डाली के साथ पूजा करती हैं।
करम पूजा कैसे मनाया जाता है? | How is Karam Puja celebrated?
करमा पर्व की तैयारी त्योहार से लगभग एक सप्ताह पहले शुरू हो जाती है। इस दौरान, लोग करम डाली इकट्ठा करते हैं और उसे घर लाते हैं। करम डाली को एक विशेष स्थान पर रखा जाता है और उसकी अच्छी तरह से देखभाल की जाती है।
करमा पर्व के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर, वे घर के आंगन में एकत्र होते हैं और करम डाली की पूजा करते हैं। पूजा में देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उनकी आराधना की जाती है।
करमा पर्व मनाने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं
- करम डाली की पूजा: करम डाली को घर के आंगन में गाड़ा जाता है। फिर, बहनें जावा को लेकर पूजा करती हैं। पूजा में, वे करम देवता की प्रार्थना करती हैं और भाईयों की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।
- करम गीत और नृत्य:: करम नाच एक विशेष नृत्य है जो करम देवता की पूजा के लिए किया जाता है। इस नृत्य में, लोग ढोल, नगाड़े और अन्य वाद्ययंत्रों की धुन पर नाचते हैं।
- भोजन: करमा पर्व पर, लोग पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इन व्यंजनों में, चावल, दाल, सब्जियां और मीठे पकवान इत्यादी शामिल हैं।
करम पूजा का महत्व | Importance of Karam puja
करमा पूजा कृषि आधारित समाजों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार के माध्यम से, आदिवासी लोग प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। करम डाली को एक विशेष पौधे के रूप में देखा जाता है जो अच्छी फसल का प्रतीक है। करम पूजा के दौरान, लोग करम डाली की पूजा करते हैं और प्रकृति से अच्छी फसल की कामना करते हैं।
करमा पूजा भाईचारे और प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना को बढ़ावा देने वाला त्योहार भी है। करम पूजा के दौरान, लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ भाईचारे का भाव रखते हैं।
करम पूजा की कहानी | Story of karam puja
करमा पूजा की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन यह एक प्राचीन त्योहार है जो आज भी मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार और प्रकृति की पूजा को दर्शाता है।
करमा पूजा की उत्पत्ति की कई कहानियाँ प्रचलित हैं। इनमें से दो सबसे लोकप्रिय कहानियाँ हैं:
करम देवता की कहानी:
इस कहानी के अनुसार, करम देवता एक आदिवासी लड़के के रूप में धरती पर आए थे। वह अपने भाई-बहनों से बहुत प्यार करता था और उनकी रक्षा करता था। एक दिन, करम देवता के भाई-बहन जंगल में गए थे और वहाँ उन्हें एक बाघ ने घेर लिया था। करम देवता ने अपने भाई-बहनों को बचाने के लिए बाघ से लड़ाई लड़ी और उसे मार डाला। करम देवता की इस वीरता से प्रसन्न होकर, लोगों ने उनका मंदिर बनवाया और उनकी पूजा शुरू कर दी।
यह कहानी करमा पूजा को एक भाई-बहन के प्रेम के त्योहार के रूप में देखती है। यह कहानी यह भी बताती है कि करमा पूजा प्रकृति की शक्ति और उर्वरता का भी प्रतीक है। करम देवता को प्रकृति का संरक्षक माना जाता है, और उनकी पूजा प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान का प्रतीक है।
कृषि आधारित कहानी:
इस कहानी के अनुसार, करमा पूजा आदिवासियों के कृषि आधारित जीवन का एक उत्सव है। इस त्योहार के माध्यम से, आदिवासी लोग प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। करम डाली को एक विशेष पौधे के रूप में देखा जाता है जो अच्छी फसल का प्रतीक है। करम पूजा के दौरान, लोग करम डाली की पूजा करते हैं और प्रकृति से अच्छी फसल की कामना करते हैं।
यह कहानी करमा पूजा को एक कृषि त्योहार के रूप में देखती है। यह कहानी यह भी बताती है कि करमा पूजा भाईचारे और प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। करम पूजा के दौरान, लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ भाईचारे का भाव रखते हैं।
निष्कर्ष | Conclusion
आज के इस आर्टिकल्स के माधयम से हमने जाना की कर्मा पूजा क्या है इसे कैसे मानते है और साथ ही इसके कहानी इत्यादि के बारे में जाना है ,आशा करता हूँ आपको ये लेख कर्मा पूजा के बारे में जानकारी देने में मदतगार शाबित हुए होगी | करम पूजा का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना और अच्छी फसल की कामना करना है। इस दिन, बहनें अपने भाईयों के लिए पूजा करती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।अगर आप और भी कुछ पूछना चाहते है तो कमेंट बॉक्स में जरूर से पूछे धन्यवाद!