Nuakhai Juhar in 2023: इस लेख में हम नुआखाई जुहार कब हैं ? महत्व, इतिहास व क्यों मनाया जाता है , इत्यादि बारे में विस्तार से हिंदी में यहां से पढ़े |
Nuakhai juhar in Hindi 2023 – Overview
पर्व का नाम | नुआखाई जुहार |
स्थल | ओडिशा और छत्तीसगढ़, भारत |
मनाने की तिथि | 20 सितंबर, बुधवार ( भाद्रपद शुक्ल पंचमी, जो हिंदू पंचांग के अनुसार सितंबर या अक्टूबर में आता है ) |
महत्वपूर्ण आयोजन | पूजा, भोजन, परंपरागत नृत्य और गीतों का प्रदर्शन, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम |
अन्य नाम | नूखाई ,नवनन्दन |
नुआखाई जुहार कब है ? 2023 | When is Nuakhai Juhar 2023
नुआखाई जुहार 2023 में 20 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ है “नया भोजन”। इस दिन, किसान नई फसल की पहली बालियों की पूजा करते हैं और फिर इसे परिवार और दोस्तों के साथ साझा किया जाता है।
नुआखाई त्यौहार भारत के किस राज्य में मनाया जाता है? | Nuakhai festival which state in India?
नुआखाई त्यौहार भारत के ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर के महीने में होता है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ है “नया भोजन”। इस दिन, किसान नई फसल की पूजा करते हैं और फिर इसे परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं।
नुआखाई जुहार क्या है? | What is Nuakhai Juhar in Hindi?
नुआखाई एक कृषि त्योहार है जो विशेषकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर के महीने में होता है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ है “नया भोजन”। इस दिन, किसान नई फसल की पहली बालियों की पूजा करते हैं और फिर इसे परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं।
नुआखाई एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह एकता, भाईचारे और पुनर्मिलन का प्रतीक है। इस दिन, लोग अपने प्रियजनों से मिलने जाते हैं और उन्हें नवन्ना (नई फसल का भोजन) भेंट करते हैं।
नुआखाई के दिन, लोग पारंपरिक ओडिया पोशाक पहनते हैं और तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इन कार्यक्रमों में संगीत, नृत्य, नाटक और अन्य प्रदर्शन शामिल हैं।
नुआखाई एक जीवंत और रंगीन त्योहार है जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।
नुआखाई जुहार क्यों मनाया जाता है? | Why is Nuakhai Juhar celebrated in Hindi?
नुआखाई जुहार, जिसे छत्तीसगढ़ राज्य में ‘नूखाई पर्व’ भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण किसान महोत्सव है जो किसानों और उनके कृषि कामों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व आश्विन मास के पहले दिन मनाया जाता है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ होता है।
नुआखाई जुहार का मुख्य उद्देश्य नए फसलों की पूजा और धन्यवाद देना होता है। किसान अपनी नई फसल का आग़ज करते हैं और उसका आभार उनके प्राचीन देवता-देवियों के प्रति व्यक्त करते हैं। यह एक सामाजिक और पर्वीण आवश्यकता भी होती है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते हैं और नवा अन्न चढ़ाते हैं।
संक्षेप में कहें तो, नुआखाई जुहार एक प्रकार की किसानी समृद्धि और सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण पर्व है जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
नुआखाई जुहार एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुख्य तोर पर भारत के ओड़िशा एवं छत्तीसगढ राज्य में मनाया जाता है। इसे ‘नवनन्दन’ भी कहा जाता है, और यह देश के एक महत्वपूर्ण कृषि त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार चवल, धान, और अन्य कृषि फसलों की पूजा और समर्पण के साथ मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमि माता का आभार व्यक्त करना है।
नुआखाई जुहार का महत्व निम्नलिखित कारणों से होता है:
- कृषि के महत्व का प्रतीक: यह त्योहार भारतीय ग्रामीण जीवन में कृषि के महत्व को दर्शाता है। इसके माध्यम से किसान अपनी मेहनत का परिणाम मनुष्य और प्राकृतिक देवताओं के साथ बाँटते हैं।
- पर्व के रूप में शिक्षा: नुआखाई जुहार के माध्यम से समुदाय के युवा पीढ़ियों को ओडिशा की परंपरागत कृषि और संस्कृति के बारे में शिक्षा दी जाती है, जो उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- परंपरागत मान्यता: नुआखाई जुहार ओड़िशा की परंपरागत मान्यताओं और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह स्थानीय लोगों के लिए गर्व का स्रोत होता है।
- सामाजिक एकता का प्रतीक: नुआखाई जुहार समाज के सभी वर्गों को एक साथ आने की अवसर प्रदान करता है। यह त्योहार लोगों को एक साथ आने और मिलकर खुश होने का मौका देता है।
नुआखाई जुहार का इतिहास | History of Nuakhai Juhar in Hindi
नुआखाई जुहार एक प्राचीन त्योहार है जिसका इतिहास कई शताब्दियों से रहा है। इस त्योहार की उत्पत्ति ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कृषि समुदायों में हुई थी। इन समुदायों के लिए, नई फसल का स्वागत एक महत्वपूर्ण घटना थी, और इसे एक त्योहार के रूप में मनाया जाता था।
नुआखाई जुहार के इतिहास के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि यह त्योहार वैदिक काल से मनाया जा रहा है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि नुआखाई जुहार की शुरुआत बारहवीं शताब्दी में हुई थी, जब पश्चिम ओडिशा में चौहान वंश के राजा रमईदेव ने इसे शुरू किया था।
नुआखाई जुहार का वर्तमान रूप 19वीं शताब्दी में विकसित हुआ। इस अवधि के दौरान, इस त्योहार ने एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार के रूप में अपनी पहचान बनाई।
नुआखाई जुहार एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह त्योहार नई फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है, और यह एकता, भाईचारे और पुनर्मिलन का प्रतीक है। यह त्योहार ओडिशा और छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को भी दर्शाता है।